Friday , May 17 2024
Breaking News

High court: इलाहाबाद हाई कोर्ट की तीखी टिप्पणी- गो मांस खाना किसी का मौलिक अधिकार नहीं, जीभ के स्वाद के लिए जीवन नहीं छीना जा सकता.!

Eating beef is not a fundamental right: digi desk/BHN/ गाय के संबंध में आज इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय ने कुछ महत्‍वपूर्ण टिप्‍पणियां की हैं। ये टिप्‍पणी गाय के मांस को खाने वाले वर्ग को लेकर एवं गाय के संरक्षण की दिशा में हैं। अदालत ने कहा, गाय को मारने वाले को छोड़ा तो फिर अपराध करेगा और संभल के जावेद की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा, गो मांस खाना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है। जीभ के स्वाद के लिए जीवन का अधिकार नहीं छीना जा सकता। बूढ़ी बीमार गाय भी कृषि के लिए उपयोगी है। इसकी हत्या की इजाजत देना ठीक नहीं। कोर्ट ने कहा कि भारत में गाय को माता मानते हैं। यह हिंदुओं की आस्था का का विषय है। आस्था पर चोट से देश कमजोर होता है। यह भारतीय कृषि की रीढ़ है। कोर्ट ने कहा पूरे विश्व में भारत ही एक मात्र देश है जहां सभी संप्रदायों के लोग रहते हैं। पूजा पद्धति भले ही अलग हो, सोच सभी की एक है। एक दूसरे के धर्म का आदर करते हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वैदिक, पौराणिक, सांस्कृतिक महत्व व सामाजिक उपयोगिता को देखते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव दिया है।

महत्वपूर्ण टिप्पणियां

  1. -एक गाय जीवन काल में 410 से 440 लोगों का भोजन जुटाती है और गोमांस से केवल 80 लोगों का पेट भरता है।
  2. -महाराजा रणजीत सिंह ने गो हत्या पर मृत्यु दंड देने का आदेश दिया था।
  3. -कई मुस्लिम व हिंदू राजाओं ने गोवध पर रोक लगाई।
  4. -रसखान ने कहा था जन्म मिले तो नंद के गायों के बीच मिले।
  5. -गाय की चर्बी को लेकर मंगल पाण्डेय ने क्रांति की।
  6. -संविधान में भी गो संरक्षण पर बल दिया गया है।

About rishi pandit

Check Also

समय से पहले केरल में मॉनसून की एंट्री, गर्मी से मिलेगी राहत! बारिश को लेकर IMD ने दी ये जानकारी

नई दिल्ली दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के 31 मई के आसपास केरल पहुंचने की संभावना है, इसी …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *